Tuesday 8 November 2011

घर की बात घर में


मेरे दोस्त राजू ने अपनी कहानी मुझे लिख कर भेजी है .... .... उसका अनुवाद करके मैं पाठकों के समक्ष रख रही हूँ। 

भाभी की कोई सहेली कुछ दिनों के लिए घर पर आई हुई थी। भाभी की वो हम उम्र थी। कोई ३२-३३ साल की रही होगी। भाभी और मेरे सम्बन्ध वैसे भी मधुर थे। जब भी भाभी की इच्छा होती थी वो, ज्यादातर दिन को, भैया के जाने के बाद मुझसे चुदवा लेती थी। ये सिलसिला चार महीनों से चल रहा था। 

एक दिन शाम को भाभी मेरे पास आई और बोली,"देवर जी .... मेरी सहेली मन्जू बहुत ही गरम हो रही है .... क्या उसे ठंडी कर सकते हो .... .... ?" भाभी ने बडे ही सेक्सी अन्दाज में पूछा। 

"पर भाभी .... वो अभी तैयार है क्या .... ?" मुझे एकाएक विश्वास नहीं हुआ और फिर भाभी तो स्वयं एक औरत थी, बजाये उससे मुझे दूर रखने के .... मुझे न्योता दे रही थी .... भाभी को मेरी चिंता कैसे हो गई। 

"अरे नहीं .... आभी नहीं ! जब गरम हो तो करना .... तुझे नया टेस्ट करने को मिल जायेगा .... !" भाभी ने मुझे तरीका बताया। 

"आप मदद करें तो मामला बन सकता है .... " मैने भाभी से सहायता मांगी। 

"कल तुम्हारे भैया काम पर जायें तो ट्राई करते हैं .... " हम दोनों ने योजना बना ली। भाभी ने बताया मंजू को चुदवाये हुये बहुत समय हो गया है अब वो बार बार चुदाई की बातें करती है और उसके साथ लेस्बियन करना चाहती है। भाभी चाहती है कि लेस्बियन से अच्छा तो चुदाई है .... इसलिये वो मुझसे पूछने आई थी। मैं भाभी के इस प्रोपोजल से इतना खुश हो गया कि उनके स्तनों को मसल डाला। वो बस मुसकरा कर उई कह कर रह गई। 

दूसरे दिन भैया के जाने के बाद भाभी ने मोबाईल पर मिस काल दिया। ये हमारा इशारा था .... मैं कमरे में था। मैने फ़्रिज से कोल्ड ड्रिन्क निकाला और तीन गिलास बना कर भाभी के कमरे में चला आया। 

"मन्जू जी .... ठन्डा लाया हूँ .... भाभी लीजिये .... !" मैने बैरा स्टाईल में कहा। 

मुझे लगा कि मन्जू ने पहली बार मुझे गहराई से निहारा। शायद मेरे जिस्म का निरीक्षण कर रही थी। यानि मेरे बारे में कुछ बात हुई है। मन्जू ढीला ढाला काले रंग का पजामा पहने हुई थी और उस पर सफ़ेद रंग का टॉप था। भाभी भी सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाऊज में थी .... और मैंने भी अपना सफ़ेद पजामा पहना था। भाभी मेरे पास सोफ़े पर बैठ गई .... और हम तीनों बातों में तल्लीन हो गये। भाभी ने धीरे से अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया और दबाने लगी। मै भी उत्तर में हाथ दबाने लगा। मुझे मालूम था कि मन्जू ये सब देख रही थी। अब भाभी ने बातों बातों में हाथ मेरी जांघ पर रख दिया और सहलाने लगी। 

मन्जू की अब बैचेनी बढ़ने लगी। वो बराबर हमारी हरकतें नोट कर रही थी। मेरा लन्ड धीरे धीरे खड़ा होने लगा। पजामे में से साफ़ उठा हुआ दिखने लगा था। जैसे ही भाभी के हाथ ने लन्ड को स्पर्श किया। मन्जू का हाथ कांप गया। 

"मैं अभी बाथरूम हो कर आती हूँ .... " उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। भाभी ने मुझे आंख मारी। मन्जू बाथ रूम में गई तो मैंने जानकर भाभी को चिपका कर चूमने लगा। तब तक चूमता रहा जब तक कि मन्जू ने बाथरूम से निकल कर हमें ये सब करते हुए देख नहीं लिया। फिर हम एकदम से अलग हो गये जैसे कि चोरी पकड़ी गई हो। 

"क्या मैं फिर से बाथरूम में जाऊं ?" मन्जू की बात सुनते ही भाभी ने शरमाने का नाटक किया। 

"अरे क्या कह रही हो .... ये तो ऐसे ही प्यार में इस तरह कर देता है .... ?" भाभी ने सफ़ाई देते हुये कहा। 

"तब तो एक बार मुझे भी ऐसा ही प्यार कर दे ना .... !" मन्जू ने अपनी प्यास भी जता दी .... भाभी ने अपना मुँह छिपा लिया। 

"कैसा प्यार मन्जू जी .... "मैने बेशर्मी से पूछा। 

"जैसा अभी किया था भाभी को .... !" 

मैने भाभी को फिर से एक बार होंठों पर जम कर किस कर लिया, पर इस बार भाभी के बोबे भी दबा डाले। भाभी भी मुझसे चिपक पड़ी। 

"हाय ! अब बस भी करो ना .... सुमन तुम अब हटो ना .... राजू अब मुझे करो ना .... ! " मन्जू ने सब खुल्लम खुल्ला देखा तो तड़प उठी। वो कब तब सहन करती। मैं खड़ा हो गया और मन्जू का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। मन्जू कटे पेड़ की तरह मेरे हाथों में झूल गई। मैने सबसे पहले मन्जू के बोबे दबा दिये। उसके मुख से सिसकी निकल पड़ी। फिर उसके होंठो से होंठ लगा दिये और एक भरपूर किस लिया। उसके नरम नरम होंठ फ़डक उठे। भाभी ने इतनी देर में उसके चूतड़ों की गोलाईयां दबानी चालू कर दी। 

"मंजू .... मेरी सहेली .... मजा आया ना .... बडा शरमा रही थी ना राजू से .... अब क्या हुआ .... !" 

"हटो .... तुम्हारी बेशर्मी ने तो मेरी हिम्मत खोल दी .... मुझे क्या पता था कि राजू तुम्हें इतना प्यार करता है कि तुम्हारे बोबे तक दबा देता है .... !" मन्जू शरारत से बोली। "सुनो .... मेरी जान .... वो तो मुझे चोदता भी है .... कल तुम्हारी हालत देख कर मैने सोचा राजू से तुम्हारी दोस्ती करवा ही दूं, तुम्हारी चूत की प्यास भी बुझ जायेगी।" 

मैने मन्जू के शरीर को सहलाना और दबाना चालू कर दिया। वो मेरी बाहों में मछली की तरह तड़प उठी। किसी औरत में मैने इतनी प्यास नहीं देखी थी। वो बडी बेशर्मी से अपना सफ़ेद टोप उठा कर अपने बोबे दबवा रही थी  

"राजू .... सम्हालो अपनी नई गर्ल फ़्रेन्ड को .... अपने लन्ड का अब कमाल दिखा दो .... .... " भाभी मेरा लन्ड पकड़ती उसके पहले ही मन्जू ने उस पर कब्जा कर लिया। बडी अदा से मेरी तरफ़ देखा और मेरा पजामा नीचे खींच दिया और मेरा लम्बा लन्ड उसने पकड़ कर हिलाया और फिर हम सभी में कपड़े उतारने की जैसे होड़ लग गई। कुछ ही क्षणों हम तीनो नंगे हो चुके थे। मेरा लन्ड तन्ना कर फ़ुफ़कार उठा था। मैं कुछ करता उसके पहले मन्जू ने मेरा लौड़ा पकड कर अपने मुख में डाल लिया और लॉलीपोप की तरह सुपाड़े को खींच खींच कर चूसने लगी। ये स्टाईल मुझे बहुत अच्छी लगी .... लन्ड में तीखी उत्तेजना लगने लगी। भाभी मेरे पीछे से चूतड़ों को मसल रही थी। अब दोनों ने मुझे धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा दिया। और भाभी मेरे मुख से सट कर बैठ गई और अपनी चूत की फ़ांके खोल कर मेरे होंटो से चिपका दी .... और मन्जू ने मेरे खड़े लन्ड का फ़ायदा उठाते हुये अपनी चूत का मुँह खोल कर सुपाड़े को उस पर टिका दिया। इधर भाभी की चूत में मेरी जीभ गई और उधर मन्जू ने अपनी चूत में मेरा लन्ड घुसा लिया। दोनों के मुख से सिसकारियां निकल पड़ी। 

"हाय् .... लन्ड गया रे अन्दर् .... स्स्स्स्सीऽऽऽऽऽ .... " मन्जू सिसक उठी .... भाभी ने भी ऐसी ही सिसकारी भरी और मेरे मुख पर चुदाने जैसा धक्का मार दिया। 

मन्जू की चूत मेरे लन्ड को लपेट रही थी .... चूत का घर्षण लन्ड पर बड़ा ही सुहाना लग रहा था। उसके धक्के बढ़ते ही जा रहे थे। 

उसने भाभी के बोबे भींच कर कहा,"भाभी .... प्लीज़ .... हट जाओ ना .... मुझे चुदने दो अभी .... !" 

भाभी ने पीछे मुड़ कर प्यार से मन्जू को देखा और मेरे मुख पर चूत का हल्का झटका मार कर कहा,"देवर जी .... अब आप मन्जू की चोदो और मेरी छोड़ो .... !" 

भाभी ने अपना पांव घुमा कर मेरे चेहरे पर से हटा लिया और बिस्तर पर से नीचे गई। अब मन्जू ने मुझे बडी कातिल निगाहों से देखा और लन्ड को अपनी चूत में दबा लिया और मेरे ऊपर पसर गई। मैने उसके बोबे अपने हाथो में भर लिये। उसने मेरे शरीर को अपने बाहों में लपेट कर कस लिया और मेरे होंठो को अपने होंठो से दबा लिया। अब उसके चूतड़ बड़ी तेजी से नीचे लन्ड पर चल रहे थे। उसकी कमर का बल खा कर धक्के देना बड़ा सुहा रहा था। अपने होंठ वो बुरी तरह से रगड़ रही थी। हम दोनों के धक्के तेज होने लगे थे .... नशे में आखें बन्द होने लगी थी .... स्वर्ग सा आनन्द आने लगा था। दोनों ओर से से चूतड़ उछल रहे थे .... बराबरी से जवाब मिल रहा था इसलिये आनन्द भी खूब रहा था। अचानक उसके मुख एक चीख सी निकली। जिसे मैं बिलकुल नही समझ पाया। 

"हाय रे .... राजू ये क्या .... .... हाय .... " "क्या हुआ मन्जू रानी .... ? " 

"हाय .... मेरी गान्ड फ़ट गई रे .... ! " और अति उत्तेजना से मन्जू झडने लगी। 

"आऽऽऽह .... " फिर एक चीख और .... तभी मेरी नजर भाभी पर गई .... उनके हाथ में डिल्डो था .... मै समझ गया कि भाभी ने मन्जू की गान्ड में डिल्डो फंसा दिया था। और मन्जू उत्तेजना से झड़ गई थी। उसकी चूत लप लप कर रही थी और मेरे लन्ड को लपेट कर झड रही थी। मेरा लन्ड अब पानी भरी चूत में चल रहा था .... चूत ढीली पड चुकी थी अब मजा नहीं रहा था। मन्जू साइड में लुढ़क पड़ी। 

अब भाभी का नम्बर था। बिस्तर छोटा था इसलिये मैने भाभी को घोड़ी बना दिया। 

"भाभी आज नये छेद का श्री गणेश करें .... .... ?" 

भाभी ने क्रीम की तरफ़ इशारा किया। मैने भाभी की गान्ड थपथपाई और क्रीम निकाल कर गान्ड के छेद में उंगली घुसाते हुये सब तरफ़ लगा दी। अब तक मन्जू बिस्तर पर से उठ चुकी थी। मेरा कठोर लन्ड अब भाभी की गान्ड के छेद पर टकरा रहा था। मन्जू मुस्करा उठी,"सुमन .... तो आज पिछाड़ी का नम्बर है .... !" 

"मन्जू .... .... प्लीज़ बड़ी प्यासी है अगाड़ी भी .... .... जरा मदद कर दे .... डिल्डो से मेरी अगाड़ी चोद दे .... " भाभी ने मन्जू से विनती की। 

मैने अपने लन्ड का जोर लगाया .... मेरा सुपाडा फ़क से गान्ड के छेद में उतर गया। भाभी चिहुंक उठी। फिर एक हाय और निकल पड़ी .... ये डिल्डो था जो मन्जू ने उसकी चूत में घुसा दिया था। मेरा लन्ड उसकी गान्ड की दीवारों को चीरता हुआ अन्दर तक उतरता जा रहा था। ये क्रीम का असर था जिससे ना मुझे लगी और ना ही भाभी को दर्द हुआ। भाभी ने अपनी दोनों टांगें पूरी फ़ैला दी और बिस्तर पर अपनी दोनों हथेलियां टिका दी। मन्जू जमीन पर नीचे बैठ गई और इत्मिनान से उसकी चूत डिल्डो से चोदने लगी। मुझे भी गान्ड चोदते समय उसके डिल्डो का अह्सास हो रहा था। पर मुझे गान्ड के अन्दर लन्ड पर घर्षण से बहुत ही तेज मजा रहा था। भाभी भी डबल मजा ले रही थी .... मन्जू भी डिल्डो घुमा घुमा कर चोद रही थी। भाभी की सिसकारियां भी बढ़ती जा रही थी। 

"दे .... यार .... दे .... चोद दे .... हाय मेरी गान्ड .... साली को चीर दे .... हाऽऽऽऽऽऽऽय रे राजूऽऽऽ .... .... " भाभी दोनों पांव फ़ैलाये मस्ती से अपनी अगाड़ी और पिछाड़ी चुदवा रही थी। मन्जू के बाद भाभी की गान्ड चोदते चोदते अब मैं भी चरमसीमा पर चुका था .... और ऊपर से भाभी की टाईट गान्ड .... हाय् .... .... कैसे टाईम बढ़ाऊं .... मेरे शरीर की कसक बढ़ती जा रही थी .... वासना से निहाल हुआ जा रहा था। लन्ड कड़क रहा था .... धार सी छूटने का अह्सास होने लगा था। बस .... .... धक्के मारते मारते और वीर्य रोकते रोकते भी रिसने लगा .... और अचानक ही लन्ड बाहर निकालते ही उसकी गान्ड की गोलाईयों पर तेज धार निकल पडी .... भाभी की गान्ड तर हो उठी .... मेरी पिचकारी तेजी सी निकल रही थी .... भाभी ने भी आखिर दम तोड़ ही दिया .... और सिमट पड़ी.... उसका पानी निकल पड़ा .... और भाभी झड़ने लगी। मन्जू ने डिल्डो निकाल लिया और पास पड़े तौलिए से उसकी चूत और गान्ड रगड़ दी। मेरे लन्ड ने पूरा वीर्य छोड़ दिया था। भाभी अब सीधे खड़ी हो गई थी। मन्जू भाभी की मदद कर रही थी .... ठीक से सारा पौन्छ लिया। 

"भाभी मजा आया ना .... और मन्जू जी .... आपकी चूत तो बड़ी चिकनी मस्त निकली .... !"मैने मन्जू को अपनी बाहों में भरते हुए कहा। 

"भाभी को तो देवर जी मिल गये .... जब चाहा फ़ुडवा लिया .... मुझे कौन फ़ोडेगा .... !" 

भाभी ने हंसने लगी और बोली .... "हां मन्जू जी .... अब फ़ुडवाना हो तो अपनी चूत यहाँ लेकर जाईये .... यहां सब कुछ .... फ़्री में फ़ोडा जाता है .... .... अगाड़ी .... पिछाड़ी .... और तीसरा मुख भी !" 

मन्जू भाभी की भाषा पर शरमा गई। 

"चलो .... आज इस खुशी में हम लन्च बाहर होटल में करेंगे .... " मन्जू ने सभी को न्योता दिया। सभी तैयार होने लगे .... ....  

मैं मन्जू और भाभी को सादगी भरे कपड़ों में देख कर हैरान रह गया .... कौन कह सकता था कि यही दोनों कुछ समय पहले उछल उछल कर चुदवा रही थी और गान्ड मरवा रही थी। .... 

मैने कार स्टार्ट की और होटल की ओर रवाना हो गये .... 

2 comments:

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